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विद्यार्थियों को बेस्ट कॉलेज चुनने में इसलिए आ रही परेशानी
उज्जैन :- कॉलेजों में जल्द ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद विद्यार्थी अपने लिए बेस्ट कॉलेज की तलाश में जुट गए हैं। उच्च शिक्षा विभाग जल्द ही कॉलेजों के लिए ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू करेगा, लेकिन विद्यार्थियों को निजी कॉलेजों की जमीनी हकीकत जानने के लिए खुद प्रयास करना पड़ा है। विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन कई निर्देशों के बाद भी निजी कॉलेजों की स्थिति को वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर रहा है। इधर, निजी कॉलेज प्रबंधन विद्यार्थियों को गुमराह करने में लगे हुए हैं कि उनके कॉलेज में कोई खामी नहीं है।
विक्रम विवि में संबद्धता और निरंतरता प्रक्रिया हमेशा से सवालों के घेरे में रही है। अयोग्य कमेटी, बिना निरीक्षण प्रमाण पत्र और मनमाने तरीके से अनुशंसा के साथ बिना शुल्क जमा किए प्रक्रिया को अंजाम देने जैसे कारनामे शामिल हैं। स्थिति यह है कि सत्र 2015-16 में तत्कालीन कुलसचिव सुभाषचंद्र आर्य के नाम से कॉलेज वालों से वसूली मांगी गई।
स्पष्टीकरण दिया
इस मामले में खुद कुलसचिव ने स्पष्टीकरण दिया और खुद को दूर बताया। अब एक बार फिर संबद्धता प्रक्रिया जारी है। अब विभाग सख्त है, इसलिए प्रवेश से पूर्व निरीक्षण रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड हो जाएगी तो विद्यार्थियों का भविष्य की परेशानी से बच जाएगा। विवि कुलानुशासक शैलेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि पूर्व में कॉलेजों की रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली। नए सत्र में भी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जानकारी अपलोड कर दी जाएगी।
एेसे हुए विद्यार्थी परेशान
केस – 1
परिक्षेत्र के 31 कॉलेज स्थाई प्राचार्य और शिक्षक के बिना चल रहे थे। शासन ने इन पर कार्रवाई करते हुए कॉलेजों के विद्यार्थियों को परीक्षा से वंचित कर दिया। फिर छात्र संगठनों ने विरोध किया और विद्यार्थियों की गलती पूछी। इसके बाद उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने हस्तक्षेप किया और विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल करने का निर्देश जारी हुआ। हालांकि उक्त पत्र में स्पष्ट है कि इन कॉलेजों पर कार्रवाई की जाए और विद्यार्थियों को दूसरी जगह भेजा जाए।
केस – 2
विक्रम विवि परिक्षेत्र के करीब 10 कॉलेजों ने संबद्धता शुल्क जमा नहीं किया। यह शुल्क दो सत्र का जमा नहीं था। विवि ने परीक्षा रोक दी। काफी समय गुजर जाने के बाद विद्यार्थियों ने धरना दिया। इसके बाद पुलिस ने सभी को बाहर कर दिया। इस दौरान भी विवि अधिकारियों ने कॉलेज की गलती बताई और विद्यार्थी परेशान हुए।
केस – 3
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज ने खुद को यूजीसी की धारा 28 कोड (शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया) से अलग बताया। इस प्रकरण में विवाद हुआ। विद्यार्थियों की परीक्षा प्रभावित हुई।
शपथ पत्र पर चल रहे कॉलेज
विक्रम विवि परिक्षेत्र में लगभग 80 प्रतिशत कॉलेजों की संबद्धता और निरंतरता शपथ पत्र के सहारे चल रही है। दरअसल, इन कॉलेजों में निरीक्षण के दौरान शिक्षक, पुस्तकालय, भवन, लैब, कोर्स के अनुरूप संसाधन आदि की कमी निकलती है। यह कॉलेज विवि को जल्द ही खामी को पूरा करने का शपथ पत्र दे देते हैं। इसी के साथ कई बिंदुओं को निरीक्षण के दौरान छिपा लिया जाता है। एेसे में शपथ पत्र के सहारे चल रहे कॉलेजों के भविष्य में कोई संकट होता है, तो विद्यार्थियों को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
अधूरी जानकारी अपलोड
विवि में वर्ष 2014-15 के बीच हुई संबद्धता में जमकर धांधली हुई। इसी दौरान कुलपति प्रो. शीलसिंधु पाण्डे नियुक्त हुए। उन्होंने सभी फाइलों को कुलपति कक्ष में बुलाया और जांच की बात कही। दो साल गुजर जाने के बाद कुलपति की जांच नतीजों पर नहीं पहुंची। कुलपति ने खुद सभी कॉलेजों की स्थिति को वेबसाइट पर अपलोड करने का दावा किया। कुछ प्रयास हुए, लेकिन फिर दावे की हवा निकल गई। अभी स्थिति यह है कि कॉलेजों पर संबद्धता और निरंतरता से संबंधित कोई जानकारी नहीं है।